Chandrayaan-3 मिशन से भेजी गयी धरती और चांद की कुछ मजेदार तस्वीरें

भारत का अंतरिक्ष मिशन चंद्रयान-3 चांद की ओर तेजी से प्रगति कर रहा है। अब चंद्रयान-3 की चांद से दूरी सिर्फ 1400 किलोमीटर बची है। इस यान ने पिछले दिन चांद की कुछ फोटोग्राफी की थी और आज भारत के इस तीसरे मानवरहित चंद्र मिशन ने पृथ्वी और चंद्रमा की अद्वितीय छायांकन भेजी। पहली तस्वीर पृथ्वी की है जो प्रक्षेपण के बाद की गई थी, जबकि दूसरी तस्वीर चंद्रमा की हाल ही की सतह की है।

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चंद्रयान-3 ने हाल ही में चंद्रमा की नई छवि प्रेषित की है। इस छवि में चंद्रमा के गड्ढे स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। यह फोटो 5 अगस्त को यान के चंद्रमा की कक्षा में पहुंचते समय ली गई थी। इस उपलब्धि से मिशन का लक्ष्य, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सुरक्षित अवतरण, और अधिक समीप पहुंचा है।

छवि को यान पर मौजूद लैंडर हॉरिजॉन्टल गति कैमरा (एलएचवीसी) द्वारा ग्रहीत किया गया था। इस कैमरा का निर्माण अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर और बेंगलुरु की इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स प्रयोगशाला में हुआ था। इस कैमरा से उत्तम गुणवत्ता की तस्वीरें आती हैं।

दूसरी तस्वीर पृथ्वी की है, जिसे 14 जुलाई, 2023 को एलआई द्वारा ली गई थी। इस तस्वीर की पृष्ठभूमि में, चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सुरक्षित अवतरण और सतह का संवेदन था, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने प्रारंभ किया।

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चांद की सतह से कितना दूर यान

अंतरिक्ष यान अभी अपनी पथ पर चलते हुए चंद्रमा की दिशा में बढ़ रहा है। 9 अगस्त को, चंद्रयान-3 की दूरी चंद्रमा की सतह से मात्र 1,437 किमी तक पहुंच जाएगी। इस मिशन का प्रमुख लक्ष्य चंद्रमा पर सुरक्षित अवतरण है और उसकी संरचना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक प्रयोग आयोजित करना। अगर यह मिशन सफल होता है, तो भारत उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा जिन्होंने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की है, जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका, पूर्वी सोवियत संघ और चीन।

उम्मीद है कि अंतरिक्ष यान 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। चंद्रयान-3 द्वारा चंद्रमा से प्राप्त पहली तस्वीर इसरो के चंद्र मिशन के लिए एक अहम प्रगति है। यह तस्वीर सिर्फ अंतरिक्ष यान की तकनीकी सामर्थ्य को प्रकट करती है, बल्कि चंद्रमा की सतह की जटिलताओं की भी जानकारी प्रदान करती है, जो आने वाले अंतरिक्ष मिशनों के लिए दिशा निर्देश करता है।

रूस ने अपना मून मिशन लूना 25 लॉन्च किया

पिछले 47 वर्षों में, यह रूस का पहला प्रयास है चांद पर अंतरिक्ष यान पहुँचाने का। वह 1976 में अपनी पहली चंद्र मिशन को प्रस्थित किया था। शुक्रवार को प्रक्षिप्त किया गया मिशन, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर प्रक्षिप्त होगा। वहाँ पानी होने की संभावना है।

14 जुलाई को भारत ने चंद्रयान-3 का शुभारंभ किया। चंद्रयान-3 चांद पर अवतरित होगा। रूस का यह मिशन अमेरिका और चीन के चंद्र अभियानों से भी प्रतिस्पर्धा में है। अमेरिका और चीन ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने के उचित योजनाएँ तैयार की हैं।

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रूस की अंतरिक्ष संगठन रोस्कॉस्मॉस के अनुसार, लूना-25 को सोयुज 2.1वी रॉकेट द्वारा वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से प्रक्षेपित किया गया। यह स्थल मॉस्को से लगभग 5,550 किमी पूर्व में स्थित है। सोयुज 2.1वी रॉकेट के उत्कृष्ट भाग ने एक घंटे के अंदर इसे पृथ्वी के परिप्रेक्ष्य में से चांद की दिशा में प्रेषित किया।

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लूना-25 में एक रोवर और अवतरक है। इसके अवतरक का वजन प्रायः 800 किलो है। लूना-25 पहले मुलायम अवतरण की प्रयास करेगा। फिर वह चांद की मृदा के नमूने इकट्ठा करेगा और उसका परीक्षण करेगा। यह लंबे काल के लिए अध्ययन भी करेगा। लूना-25 को सोयुज 2.1बी रॉकेट से प्रक्षिप्त किया गया था। यह रॉकेट की लंबाई 46.3 मीटर है और इसका वजन 313 टन है। यह चार चरणों में काम करने वाला रॉकेट, लूना-25 अवतरक को पृथ्वी के परिप्रेक्ष्य में से बाहर पहुँचा दिया।

कैसा है लूना-25 ? क्या है मकसद

लूना-25 का आकार छोटी गाड़ी के समान है। यह चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर एक वर्ष तक क्रियावली रखेगा। हाल ही में, नासा सहित कई अंतरिक्ष संगठनों ने चाँद पर हिम के संकेत पाए हैं। रूस के इस मिशन को राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा रहा है। रूस दावा करता है कि यूक्रेन पर हमले के बाद वेस्टर्न देशों ने प्रतिबंध लगाकर उसके अंतरिक्ष मिशन पर प्रतिबंध लगाए। हालांकि, ये प्रतिबंध रूसी अर्थशास्त्र पर असर नहीं कर पाए।

वहीं, रूस पिछले कुछ वर्षों से इस मिशन की तैयारी में जुटा हुआ था। अगर उसका यह मिशन सफल होता है, तो यह उसके लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। यूक्रेन मुद्दे के बावजूद, यूरोपीय अंतरिक्ष संगठन ने लूना-25 में अपने नेविगेशन कैमरा जोड़ने का प्रस्ताव बनाया था, लेकिन बाद में उससे वापसी की।

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नील आर्मस्ट्रांग 1969 में चाँद पर उतरने वाले पहले अमेरिकी थे। 1959 में, सोवियत संघ का लूना-2 मिशन चाँद की सतह पर पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान बना। 1966 में लूना-9 चाँद पर रूस का पहला सुखमय अवतरण करने वाला मिशन था। रोस्कॉस्मॉस के अनुसार, मिशन का प्रमुख उद्देश्य सुखमय अवतरण प्रौद्योगिकी को साझा करना है, साथ ही चाँद की भौतिक संरचना का अध्ययन और जल सहित अन्य मौलिक संसाधनों की तलाश भी है।

निष्कर्ष

जैसे की हमने इस लेख के जरिये आपको चंद्रयान-3 ने हाल ही में चंद्रमा की सतह पर अध्ययन के लिए उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें प्रेषित की हैं। ये तस्वीरें चंद्रमा के गड्ढों और अन्य विशेषताओं को स्पष्टता से दिखा रही हैं। अगर आपको हमारा ये पोस्ट अच्छा लगा हो तो इस लकेह को अपने दोस्तों से जरूर शेयर करे.

25 thoughts on “Chandrayaan-3 मिशन से भेजी गयी धरती और चांद की कुछ मजेदार तस्वीरें”

    • मोदी के आने के बाद ही गौ मूत्र पिने लगे सब
      गज़ब है बूढ़े हो गए आप लेकिन मोदी मोदी मोदी न होते तो ये नही होता क्या

      worldcupहो तो मोदी जी जीतेंगे
      हारेंगेतो team

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      • Umar ki thodi sharam karke wo bhi khud ki umar ki kiyoki tum jese logo ne sharam bech khai hai isme modi ne kya yogdan Diya hai ek yogdan btao jese ki engine banaya Ho design taiyar kiya ho Sara Kam isro ke chote se lekar bade workaro ka hai backchodi na kya karo hamari taraf se moot piyo gobar Khao magar yaha akar tatti tatti na felao

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    • Isme Modi ka kya hath hai 78 ke budhdhe ho gye ho phir bhi bakchodi kar rahe ho aur hain apna space craft ka naam luna nahi chandrayan 3 hai padhe likhe ganwar

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  1. Congratulations whole isro team …we proud of you all ..💕 chandryan 3 Jai hind jai bharat 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

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  2. Historical successful mission only possible when good Team Works, CooperativeTeam Leaders and good motive is there.
    Present Government’s role is also very much as they approved and fully supported this mission.
    Congratulation to whole ISRO team.

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