पूर्व में इसरो का योजना था कि आज उन्हें जगाया जाएगा, लेकिन अब इसरो ने तय किया है कि यह कार्य 23 सितंबर, शनिवार को संपन्न होगा। इसरो के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर के प्रमुख निलेश देसाई ने बताया, “हमारी योजना थी कि विक्रम और प्रज्ञान को 22 सितंबर को सक्रिय किया जाएगा, परंतु कुछ कारणों की वजह से अब हम इसे कल, अर्थात शनिवार को करेंगे।
इसी संदर्भ में, शुक्रवार की संध्या को इसरो ने एक घोषणा की। इसरो के अनुसार, “हमने विक्रम और प्रज्ञान से संवाद स्थापित करने की कोशिश की है। लेकिन अब तक हमें इन दोनों से किसी भी प्रकार का संकेत प्राप्त नहीं हो पाया है। हम इनसे संपर्क साधने की कोशिश में जुटे रहेंगे।
केवल 14 दिन है दोनों का जीवन
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का चंद्रमा पर जीवन केवल पंद्रह दिनों का है। चंद्रमा का एक दिवस पृथ्वी के लगभग 29 दिनों के समान होता है, इससे निष्कर्ष होता है कि चंद्रमा पर 15 दिन का दिन और 15 दिन की रात होती है। 23 अगस्त को चंद्रमा पर दिन शुरु हुआ था, इसलिए इसरो ने विक्रम लैंडर को वहां पर उतार दिया। चंद्रमा पर दिन समाप्त होने से पहले, इसरो ने 4 सितंबर को लैंडर और रोवर को सुनिश्चित करने के लिए विश्राम मोड में डाल दिया।
विक्रम और प्रज्ञान को सक्रिय रहने के लिए ऊर्जा की जरूरत होती है। चंद्रमा पर जब सूर्य प्रकाशित होता है, तभी वे अपने सौर पैनल से ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन, रात्रि के दौरान उन्हें ऊर्जा की प्राप्ति मुश्किल होती है। चंद्रमा पर रात्रि का तापमान अत्यधिक कम हो जाता है, नासा के अनुसार, यह -130 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है और कुछ स्थलों पर यह -253 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। इस ठंड में, रोवर और लैंडर जम सकते हैं और वे फिर से कार्यात्मक होने में सक्षम होंगे जब तक सूर्य पुनः प्रकाशित न हो।
इसरो के प्रधान सोमनाथ ने इस विषय में पत्रकारों से चर्चा की थी। उन्होंने जानकारी दी कि, “चंद्रमा पर रात्रि के दौरान तापमान अत्यधिक नीचे चला जाता है, और इससे बैटरी और इलेक्ट्रोनिक्स पर असर पड़ सकता है। हमने अध्ययन किया है और आशा है कि विक्रम और प्रज्ञान इस संकीर्ण परिस्थितियों से मुक्त हो सकते हैं और पुनः सामान्य कार्य कर सकते हैं।
अगर विक्रम और प्रज्ञान सक्रिय नहीं हुए तो क्या होगा
इसरो अब चंद्रमा पर अपने रोवर को पुनः सक्रिय करने की प्रयास में जुटा है। इसरो की मान्यता है कि रोवर की बैट्री पूरी तरह से चार्ज हो चुकी है। लैंडर और रोवर के संचार उपकरण भी सक्रिय हैं। अगर सब कुछ अनुसार हुआ तो इसरो के यंत्र फिर से चंद्रमा से जानकारियां इकट्ठा करेंगे और वह जानकारियाँ पृथ्वी पर भेजी जाएंगी। अगर ऐसा नहीं हुआ तो वे चंद्रमा पर हमेशा के लिए विराजमान रहेंगे।
अगर लैंडर और रोवर पुनः सक्रिय नहीं होते हैं, तो उनका अगला कदम क्या होगा? क्या भविष्य में उन्हें पुनः सक्रिय किया जा सकेगा? क्या अन्य देशों के रोवर इसरो के ‘प्रज्ञान’ से कोई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं? ऐसे ही कई प्रश्न लोगों के मन में हैं। इसे समझने के लिए हमने विशाखापत्तनम स्थित आंध्र विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रोफेसर पी श्रीनिवास से संवाद किया।
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प्रोफेसर श्रीनिवास आंध्र विश्वविद्यालय में इसरो के ‘जियोस्फीयर-बायोस्फीयर’ परियोजना पर कार्य कर रहे हैं। वे उस वैज्ञानिक टीम के सदस्य भी हैं जो चंद्रयान-3 के संबंधित विभागों का अध्ययन कर रहे हैं।
चांदनी रात में रिचार्ज नहीं होगा रोवर
चंद्रमा पर रात्रि के समय विद्युत उत्पन्न करना संभावित नहीं है। चंद्रमा की रात्रि में सतह अंधकार में डूब जाती है। हालांकि पृथ्वी पर रात के समय हमें चंद्रमा का प्रकाश दिखाई देता है, फिर भी उसकी सतह स्वयं प्रकाशमान नहीं होती। इस कारण, चंद्रमा पर रोवर को रात्रि में पुनः चार्ज करना संभावित नहीं है।
क्या रोवर और लैंडर को धरती पर वापस नहीं लाया जा सकता है?
जो भी राष्ट्र अंतरिक्ष अन्वेषण में साझा करते हैं, वे चंद्रमा पर रोवर को मुख्यतः जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से ही प्रेषित करते हैं। इन राष्ट्रों का मानना है कि रोवर को पृथ्वी पर वापस लाने की प्रक्रिया में उतना ही खर्च होगा जितना कि नया मिशन चालू करने में। इसलिए, वे इसे पुनः प्रयोग करने या वापस लाने का प्रयास नहीं करते हैं।
अगर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ने दोबारा काम नहीं किया तो क्या होगा?
शुक्रवार को रोवर और लैंडर पर पुनः सूर्य की किरनें पड़ीं, फिर भी वे पुनः सक्रिय नहीं हुए। यह संभावना है कि वे स्थायी रूप से कार्यरहित हो सकते हैं, क्योंकि उनका निर्माण मात्र 14 दिनों के लिए किया गया था। यदि वे पुनः चालू होते हैं, तो यह हमारे लिए अतिरिक्त लाभ के समान होगा।
यदि रोवर और लैंडर पुनः सक्रिय नहीं होते हैं, तो उनका कोई महत्व नहीं रहेगा, केवल यह कि वे चंद्रमा की सतह पर अनुपयुक्त सामग्री के रूप में बसे रहेंगे।
निष्कर्ष
इसरो ने पहले योजना बनाई थी कि 22 सितंबर को विक्रम और प्रज्ञान को सक्रिय किया जाएगा, परंतु कुछ अवरोधों के चलते इसे 23 सितंबर, शनिवार को स्थानांतरित कर दिया गया। जब तक शुक्रवार की संध्या तक की बात है, इसरो को इन दोनों से किसी भी प्रकार का संकेत प्राप्त नहीं हुआ है, लेकिन संपर्क साधने की प्रक्रिया जारी है।