वैज्ञानिकों ने चाँद से लाई गई मिट्टी में सफलता पूर्वक उगाए पौधे (Scientists successfully grow plants in Lunar Soil)

प्राचीन काल में रहस्यमयी एवं दैवीय मानी जानें वाली अंतरिक्ष की अनेकों अनेक घटनाएं मानव सभ्यताओं की विकास यात्रा के साथ वैज्ञानिकों एवं शोधकर्ताओं द्वारा समय-समय पर सुलझाई जाती रही हैं। इन वैज्ञानिक शोधों का ही परिणाम है कि 60 साल पहले मनुष्य ने अपने कदम सर्वप्रथम चाँद पर रखे और आज हम विभिन्न खगोलीय पिंडों, आकाशगंगाओं, खगोलीय घटनाओं आदि के विषय में अपनी समझ विकसित कर सके हैं।

शोध कार्यों के इसी क्रम में कृषि वैज्ञानिकों को हाल ही में चाँद से लाई मिट्टी में पौधे उगाने में सफलता प्राप्त हुई है, यह कार्य मानव सभ्यता के विकास का एक नया आयाम है। आज इस लेख के माध्यम से चर्चा करेंगे सफलता के इस पूरे घटनाक्रम के बारे में तथा समझेंगे क्या भविष्य में चंद्रमा पर बसने का इंसानी सपना कभी सच हो सकता है?

चंद्रमा से लाई गई मिट्टी में फूटा अंकुर

पिछले दिनों यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के वैज्ञानिकों ने साल 1969 से 1972 के मध्य अमेरिका द्वारा चंद्रमा पर भेजे गए मानव मिशन के दौरान वहाँ से लाई गई मिट्टी पर सफलता पूर्वक पौधों को उगाया है, हालाँकि चंद्रमा से लाई गई मिट्टी में उगे पौधे धीरे धीरे कमज़ोर होने लगे तथा आखिर में ये पौधे खत्म हो गए बावजूद इसके वैज्ञानिकों तथा शोधकर्ताओं के अनुसार पौधों का उगना ब्रह्मांड को समझने की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

जैसे-जैसे मनुष्य नें ब्रह्मांड के संबंध में अपनी समझ विकसित करी है उसके साथ ही पृथ्वी के अतिरिक्त किसी अन्य गृह में जीवन की संभावनाओं को तलाशने का कार्य भी मनुष्य करता रहा है। चंद्रमा से लाई गई मिट्टी में पौधे उगाना मनुष्य के इस विचार को कहीं ना कहीं वैधानिकता प्रदान करता है। हालाँकि इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि, किसी अन्य गृह या उपग्रह में रहने हेतु कई अन्य महत्वपूर्ण घटक भी हैं, जिनका एक साथ उपलब्ध होना मानव अस्तित्व के लिए अनिवार्य है। बता दें कि, चंद्रमा से यह अमेरिकी अंतरिक्ष मिशन अपोलो 11, 12 तथा 17 के दौरान लाई गई थी, जिसकी कुल मात्रा 12 ग्राम थी।

कैसे पृथ्वी से अलग है चाँद की मिट्टी

पेड़ पौधों जीवन का ही एक रूप हैं, जिनको उगने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों एवं खनिजों की आवश्यकता होती है। ये तत्व पृथ्वी की मिट्टी में पर्याप्त रूप से पाए जाते हैं, किन्तु चंद्रमा की स्थिति में एसा नहीं हैं वहाँ की मिट्टी में न ही फसलों के लिए महत्वपूर्ण खनिज मौजूद हैं और न ही आवश्यक जीवाश्म एवं कार्बनिक पदार्थ। चंद्रमा से लाई गई मिट्टी में वैज्ञानिकों ने तेजी से उगने वाले पौधे अरेबिडोप्सिस थालियाना के बीज डाले थे, जो अगले दो दिनों में अंकुरित हो गए। गौरतलब है कि, यह पौधा सरसों, ब्रोकली और फूलगोभी के परिवार से सम्बन्ध रखता है।

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चंद्रमा से लाई गई मिट्टी में उगा पौधा Credits: UF/IFAS photo by Tyler Jones

अपोलो मिशन के बारे में

अपोलो मिशन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा चंद्रमा में मानव मिशन भेजने की एक श्रंखला थी, जिसे अपोलो 11, अपोलो 12 तथा अपोलो 17 कार्यक्रमों के माध्यम से पूरा किया गया। इसी मिशन के द्वारा सबसे पहले मानव ने चाँद पर अपना पहला कदम रखा। उड़ानों की ये श्रंखला साल 1969 से 1972 के मध्य चली। अपोलो अभियान ने कुल मिलाकर चन्द्रमा से 382 किग्रा पत्थर और अन्य पदार्थो के नमुने एकत्र कर के लाये थे, यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा के वैज्ञानिकों को दी गई मिट्टी इसी का भाग थी।

यूरी गागरिन 12 अप्रैल, 1961 को अंतरिक्ष में जाने वाले पहले यात्री बने चूँकि यह शीत युद्ध का दौर था अतः सोवियत यूनियन के जवाब में अमेरिका ने भी अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को मजबूत करने पर जोर दिया तथा तत्कालीन राष्ट्रपति केनेडी ने 1960 के दशक के अंत तक चंद्रमा में मानव मिशन भेजने की घोषणा करी।

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