पिछले साल स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के पाँच वर्ष पूरे होने के अवसर पर ‘प्रारंभ: स्टार्टअप इंडिया इंटरनेशनल समिट’ का आयोजन किया गया इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा द्वारा स्टार्टअप इंडिया सीड फंड कार्यक्रम Startup India Seed Fund Scheme (SISFS) की शुरुआत करी। आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं कि दृष्टि से महत्वपूर्ण इस योजना के संबंध मे आज इस लेख में, हम योजना से जुड़े आवश्यक पहलुओं समेत योजना के प्रमुख उद्देश्यों और वर्तमान परिदृश्य में देश के लिए इसके महत्व पर चर्चा करेंगे।
आईएसएफ योजना के बारे में
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना Startup India Seed Fund Scheme (SISFS) का उद्देश्य देश में स्टार्टअप्स को प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, अवधारणा के प्रमाण (Proof of concept), बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिए आवश्यक आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इस कार्यक्रम की शुरुआत 5 फरवरी, 2021 को भारत सरकार द्वारा की गई आधिकारिक घोषणा के पश्चात हुई।
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना चार साल की (2021 से 2025 तक) अवधि के लिए अनुमोदित किया गया है और इसे 1 अप्रैल, 2021 से लागू किया गया। डीपीआईआईटी द्वारा गठित एक विशेषज्ञ सलाहकार समिति (ईएसी), योजना के समग्र निष्पादन और निगरानी के लिए जिम्मेदार होगी।
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें-
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य विभिन्न स्टार्टअप्स को उनकी परियोजना के शुरुआती चरण में वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि वित्तीय आभाव में कोई स्टार्टअप शुरू होने से वंचित ना रहे तथा देश में अधिक से अधिक लोगों को नवाचार एवं स्टार्टअप्स के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
- कार्यक्रम के लिए स्वीकृत धनराशि की बात करें तो भारत भर में पात्र इन्क्यूबेटरों के माध्यम से पात्र स्टार्टअप्स को सीड फंडिंग प्रदान करने के लिए अगले 4 वर्षों में 945 करोड़ की धनराशि को आवंटित किया जाएगा।
- इस योजना के शुरू होने से उम्मीद की जा रही है कि स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना के माध्यम से देश में तकरीबन 3600 से अधिक स्टार्टअप को आवश्यक वित्तीय मदद मिलेगी
- यह योजना अप्रत्यक्ष रूप से भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने अथवा भारत को विभिन्न क्षेत्रों में आत्म निर्भर बनाने की दिशा में सहायक सिद्ध होगी।
वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए योग्यता
स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना (Startup India Seed Fund Scheme) के तहत आवेदन करने के लिए स्टार्टअप के लिए पात्रता के मानदंड निम्नानुसार होंगे:
- स्टार्टअप को उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ( DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।
- स्टार्टअप को आवेदन करने के समय 2 साल से अधिक पहले इनकॉर्पोरेट नहीं किया होना चाहिए
- सामाजिक प्रभाव, अपशिष्ट प्रबंधन, जल प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, शिक्षा, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य देखभाल, ऊर्जा, गतिशीलता, रक्षा, अंतरिक्ष, रेलवे, तेल, कपड़ा, आदि और गैस जैसे क्षेत्रों में अभिनव समाधान बनाने वाले स्टार्टअप को प्राथमिकता दी जाएगी।
- स्टार्टअप को किसी अन्य केंद्र या राज्य सरकार की योजना के तहत 10 लाख रुपये से अधिक की मौद्रिक सहायता प्राप्त नहीं होनी चाहिए
- योजना के लिए इनक्यूबेटर में आवेदन के समय स्टार्टअप में भारतीय प्रमोटरों की हिस्सेदारी कम से कम 51% होनी चाहिए
Seed Money क्या होती है?
ऊपर हमनें स्टार्टअप्स के संबंध में सीड मनी शब्द की चर्चा करी आइए समझते हैं यह क्या है। दरअसल किसी भी स्टार्टअप्स परियोजना को शुरू करने के लिए जिस शुरुआती धनराशि की आवश्यकता होती है उसे ही सीड मनी कहा जाता है, दूसरे शब्दों में सीड फंडिंग किसी स्टार्टअप/व्यवसाय में किया गया प्रारंभिक निवेश है।
साधारणतः स्टार्टअप के संस्थापक अपनी बचत का उपयोग व्यवसाय शुरू करने के लिए करते हैं, जिसे बूटस्ट्रैपिंग कहा जाता है, किन्तु यदि संस्थापक/ संस्थापकों को बाहरी निवेश की आवश्यकता हो तब आम तौर पर, निवेशकों को अक्सर निवेश की गई पूंजी के बदले में इक्विटी हिस्सेदारी मिलती है और ऐसे निवेशक एंजल इन्वेस्टर कहलाते हैं। आइए अब समझते हैं इनक्यूबेटर द्वारा पात्र स्टार्टअप को सीड निधि (Seed Money) किस प्रकार वितरित की जाएगी?
- विशेषज्ञ सलाहकार समिति (Experts Advisory Committee) द्वारा चयनित पात्र इन्क्यूबेटरों को 5 करोड़ रुपये तक का अनुदान प्रदान किया जाएगा।
- 20 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता अवधारणा के प्रमाण, या प्रोटोटाइप विकास, या उत्पाद परीक्षण के सत्यापन के लिए अनुदान के रूप में प्रदान की जाएगी।
- 50 लाख रुपये तक की धनराशि बाजार में प्रवेश, व्यावसायीकरण, या परिवर्तनीय डिबेंचर या ऋण या ऋण से जुड़े उपकरणों के माध्यम से स्केलिंग के लिए प्रदान की जाएगी।
इनक्यूबेटर के बारे में
इनक्यूबेटर ऐसे संगठन होते हैं, जो लोगों के मध्य नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से काम करते हैं। ये मुख्यतः स्टार्टअप्स को आर्थिक सहायता और स्टार्टअप्स के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को प्रदान करते हैं ताकि वे विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार में प्रवेश, व्यावसायीकरण आदि की अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को पूरा कर सकें।
सरकार उक्त कार्यक्रमों के माध्यम से इन्क्यूबेटरों को प्रोत्साहित करती है तथा इनक्यूबेटर आगे स्टार्टअप को वित्तीय सुविधाएं प्रदान करते हैं। स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना के तहत ,सरकार 300 इन्क्यूबेटरों को अनुदान देने जा रही है। इनक्यूबेटर आधिकारिक पोर्टल के माध्यम से स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं, उनके आवेदन का सत्यापन करने के बाद सरकार उन्हें सीड फंडिंग उपलब्ध करवाएगी। इसके अतिरिक्त स्टार्टअप सीधे भी इस योजना के तहत पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं और अपनी पसंद के इनक्यूबेटर का चयन कर सकते हैं।
FAQs
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