Chandrayaan-3 मिशन हो सकता है फेल? ISRO वैज्ञानिक ने दिया जवाब

भारतीय अंतरिक्ष संचार संगठन (ISRO) ने 22 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर विरामित रहते हुए 14 रात्रियों को सामना करने वाले विक्रम और प्रज्ञान को पुनः सक्रिय करने की कोशिश की।

परंतु, अब तक उन्हें इस दिशा में सफलता नहीं प्राप्त हुई है। अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के प्रमुख नीलेश एम. देसाई के अनुसार, यह प्रक्रिया स्वचालित है और पृथ्वी से इसे प्रारंभ नहीं किया जा सकता।

उन्होंने स्पष्ट किया कि सौर ऊर्जा पर आधारित लैंडर और रोवर को पुनः चार्ज होने के बाद ही किसी भी संकेत की प्रतीक्षा की जा सकती है।

आवश्यकता है कि हम समझें कि चंद्रयान जिस स्थान पर अवतरित हुआ था, वहां 22 सितंबर को सूर्योदय हुआ। अभी तक चंद्रमा से कोई सकारात्मक संकेत प्राप्त नहीं हुआ है, जिससे ISRO के वैज्ञानिक अधिक सक्रिय हो गए हैं।

देसाई ने पुष्टि की, "ISRO का उल्लेख करते हुए, लैंडर और रोवर से संपर्क स्थापित करने में प्रयासशीलता दिखाई जा रही है। यह अपने आप में पुनर्जीवित होकर संकेत भेजेगा। परंतु अभी कोई संकेत प्राप्त नहीं हुआ।

आपको जानकारी होनी चाहिए कि लैंडर और रोवर को 4 और 2 सितंबर को अलसी मोड में डाला गया था। देसाई ने उम्मीद जताई कि 22 सितंबर को चंद्रमा पर सवेरा होते ही संकेत प्राप्त हो सकता है।

उन्होंने संकेत की संभावना को अधिक नहीं माना। वे यह भी मानते हैं कि अगर संपर्क नहीं हो पाता है तो भी चिंता की कोई बात नहीं, मिशन ने पहले ही अपनी उद्देश्य पूरा किया है।