चंद्रयान 3 की प्रक्रिया के अनुसर, भारत ने अब अपना सूर्य मिशन 'आदित्य-एल1' सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया है।
इसरो ने रविवार को जानकारी दी कि 'आदित्य-एल1' उपग्रह पूरी तरह से स्थिर है और उम्मीद के अनुसार कार्य कर रहा है। संगठन ने इसे पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया है।
इस प्रगति के बाद, इसरो की नजर अब अन्य परियोजनाओं पर है। चंद्रयान 3 की प्राथमिक उद्देश्य है चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पानी और ईंधन संबंधित संस्थानों का पता लगाना। इसके अलावा, यह चाँद की मिट्टी और चट्टानों का अध्ययन भी करेगा।
इस मिशन का मुख्य आवश्यकता यह है कि चांद पर ऐसा स्थल चुना जाए, जहां पर एक नवीनतम स्टेशन का निर्माण किया जा सके।
वर्तमान में अंतरिक्ष में सिर्फ एक ही स्टेशन, अर्थात इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन, है। भारत की इच्छा है कि वह चांद पर भी एक समान स्टेशन स्थापित करे, जिससे वहां मनुष्यों को आराम से ठहरने की सुविधा हो।
जब भारत किसी सैटेलाइट का प्रक्षेपण करता है, तो वह सैटेलाइट वापस पृथ्वी पर नहीं आता। यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में अपने निर्धारित कार्य को समाप्त करके वहीं अवसान होता है।
भारत का उद्देश्य है कि उसके द्वारा प्रक्षेपित सैटेलाइट पृथ्वी पर वापस आ सकें। चंद्रयान 1 के मिशन के निर्देशक एम अन्नादुरई ने यह जताया था कि यदि चंद्रयान 2 सफलतापूर्वक चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग कर पाता, तो चंद्रयान 3 का प्रमुख उद्देश्य वापसी मिशन होता।