आपने जरूर नोट किया होगा कि 5 रुपये का सिक्का अलग-अलग तरह का होता है। पहले का वर्जन थोड़ा मोटा होता था और फिर आया उसका उत्तराधिकारी, सुनहरे रंग का पतला सिक्का।
अब आपको यह भी दिखाई दिया होगा कि पुराने मोटे 5 रुपये के सिक्के अब बाजार में कम दिखते हैं।
साधारण भाषा में कहें तो, पुराने 5 रुपये के सिक्के का उत्पादन कुछ समय पहले ही रुक गया था। अब जो सिक्के बाजार में हैं, वह पहले से ही मौजूद थे।
पर क्या आपको पता है कि इस निर्णय के पीछे क्या कारण था? क्यों पुराने सिक्कों की जगह नई तरह के सिक्के उत्पादित किए गए? वास्तव में, इसके पीछे एक अद्वितीय कारण था।
वहाँ पर था कि पुराने 5 रुपये के सिक्के अधिक मोटे होते थे, और इसका मतलब था कि उन्हें तैयार करने के लिए ज्यादा मेटल की आवश्यकता होती थी।
इस मेटल से वही ब्लेड भी तैयार किए जाते थे जो दाढ़ी बनाने के लिए इस्तेमाल होते थे। कुछ लोगों ने इस जानकारी का अनुचित उपयोग शुरू कर दिया।
जब इस समस्या की सूचना भारतीय रिजर्व बैंक तक पहुंची, तो उन्होंने निर्णय लिया कि 5 रुपये के सिक्के को अब पतला किया जाएगा और साथ ही उसके निर्माण में प्रयुक्त मेटल को भी बदल दिया जाएगा, ताकि उस मेटल का गलत इस्तेमाल रोका जा सके।